हाई ब्लड प्रेशर, याददाश्त और कब्ज की समस्या में फायदेमंद है उद्गीथ प्राणायाम


उद्गीथ प्राणायाम बहुत पुराने समय से हमारे यहां प्रचलित है। इस प्रणायाम की खास बात है कि ये पूरे शरीर के साथ-साथ मन और मस्तिष्क के लिए भी फायदेमंद है। प्राचीन समय में तमाम साधक और ऋषि-मुनि इस प्राणायाम का अभ्यास शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए करते थे। इस प्रणायाम को करते समय ॐ की ध्वनि का उच्चारण किया जाता है। इस प्राणायाम को करना बहुत आसान है इसलिए इसे कोई भी कर सकता है। आइए आपको बताते हैं उद्गीथ प्राणायाम को करने का सही तरीका और इसके फायदे।

कैसे करें उद्गीथ प्राणायाम

  • इस प्राणायाम के लिए सबसे पहले चटाई पर पद्मासन या सुखासन की अवस्था में बैठ जाएं।
  • मन को शांत करने के लिए लंबी गहरी सांसे लें।
  • सांस को अन्दर और बाहर छोड़ने की प्रक्रिया लम्बी, धीरे व सूक्ष्म होनी चाहिए ।
  • सांसों को अंदर खींचें और धीरे-धीरे छोड़ते हुए ॐ का जाप करें।
  • ध्यान रखें कि जब आप ॐ का उच्चारण करें, तब आपका ध्यान सांसो पर केंद्रित होना चाहिए।
  • इस क्रिया को 5-8 मिनट तक दोहराते रहें।
  • धीरे-धीरे प्राणायाम की अवधि बढ़ाएं।

हाई ब्लड प्रेशर में फायदेमंद है ये प्राणायाम

उद्गीथ प्राणायाम हाई ब्लड प्रेशर यानी उच्च रक्तचाप में लाभदायक होता है। सांसों के द्वारा जब आपके फेफड़ों में शुद्ध ऑक्सीजनयुक्त वायु जाती है, तो यही ऑक्सीजन ब्लड द्वारा शरीर के अंगों तक पहुंचता है। इसलिए ये पूरे शरीर के लिए फायदेमंद है। ॐ के उच्चारण से शरीर में जो फ्रीक्वेंसी पैदा होती है, वो हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए फायदेमंद है इसलिए इसका अभ्यास हाइपरटेँशन की समस्या से छुटकारा दिलाता है।

कब्ज और एसिडिटी में है फायदेमंद

उद्गीथ प्राणायाम का अभ्यास नियमित रूप से करने पर आपको पेट से संबंधित सभी समस्याओं से छुटकारा मिलता है। दरअसल जब आप गहरी सांस लेते हैं और धीरे-धीरे सांसों को खींचते हैं, तो सांस आपको पेट में जाती हुई महसूस होती हैं। इससे पेट में मौजूद सभी अंगों का व्यायाम हो जाता है और आपको पेट से संबंधित समस्याएं नहीं होती हैं। रोज सुबह इसका अभ्यास करने से कब्ज से राहत मिलेगी और पेट में गैस नहीं बनेगी।

याददाश्त भी बढ़ाता है ये प्राणायाम

उद्गीथ प्राणायाम का अगर नियमित रूप से अभ्यास किया जाए तो यद्दाश्त को बढ़ाने में मदद मिलती है। यद्दाश्त का बढ़ना आपके ध्यान और मन की एकाग्रता पर निर्भय करता है। ध्यान करते समय जिस तरह जितना अधिक ध्यान होगा उस तरह विचार शक्ति उतनी बढ़ेगी।

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